Meri Sansadiya Yatra - I
Meri Sansadiya Yatra - I
Couldn't load pickup availability
📚 View Condition Chart of Books
📚 View Condition Chart of Books
New: These are new books which have been purchased from publishers and authors.
Almost New: These are books which have been read previously or are excess stock from bookshops and publishers.
Good: These are the books which have have been sourced from book lovers and are in very good condition. They may have signs of ageing but will be in pretty good condition.
Readable: These books may be old and have visible wear and tear signs.
🚚 Read Our Free Shipping Policy
🚚 Read Our Free Shipping Policy
All prepaid orders except for academic books above ₹1000 are eligible for free shipping. Have more queries? Read more about our shipping and delivery policies here.
WhatsApp us on +91-8851222013 to place a replacement request. Read our complete replacement, return & refund policy here.
Publisher: Prabhat Prakashan
Language: Hindi
Binding: Hardcover
Pages: 515
ISBN: 8173152772
Related Categories: All Books Collectibles Hardcover Editions
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 15 अगस्त, 1998 को ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा था- ' एक गरीब स्कूल मास्टर के बेटे का भारत के प्रधानमंत्री के पद तक पहुँचना भारतीय लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक है ।' पिछली अर्द्धसदी से भी अधिक समय से स्वयं श्री वाजपेयी भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने में अपना रचनात्मक योगदान देते रहे हैं ।
श्री वाजपेयी संसद में रहे हों या संसद के बाहर, भारतीय राजनीति को प्रभावित करते रहे हैं । श्री वाजपेयी का बोला हुआ हर शब्द खबर माना जाता रहा है । उनके भाषण मित्रों द्वारा ही नहीं, राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा भी गंभीरता से सुने जाते हैं । भारतीय जीवन से जुड़े प्रत्येक पहलू पर पूरे अधिकार के साथ बोलना वाजपेयीजी के लिए सहज-संभव-साध्य रहा है । उनकी उदार दृष्टि और तथ्यपरक आँकड़े लोगों को मानसिक स्तर पर संतुष्टि देते रहे हैं । उनकी सोच हरदम रचनात्मक और देश-हित में सबसे बेहतर विकल्प तलाशने व उद्घाटित करनेवाली रही है । उनका सबसे बड़ा योगदान ' संसद में संवाद ' की स्थिति बनाए रखना, उसके स्तर को ऊँचा उठाना माना जाता है ।
श्री वाजपेयी का चिंतन दूरगामी है । देश-हित उनके लिए सर्वोपरि है । यह तथ्य इन भाषणों को पढ़कर पाठकों के सामने बार-बार उजागर हो आता है । अगर उनके समसामयिक प्रस्ताव, योजनाएँ आशंकाएँ पूरी गंभीरता से स्वीकारी जातीं, उन्हें अमल में लाया जाता, तो देश की दशा इस तरह चिंता का विषय न बनी होती; इसका भी अनंत बार आभास इन भाषणों को पढ़कर होता है ।
अपने प्रधानमंत्रित्व काल में श्री वाजपेयी की राष्ट्रीय प्राथमिकताएँ क्या हैं और उनको पूरा करने की योजनाएँ क्या हैं, यह भी प्रधानमंत्री के रूप में अब तक संसद में दिए गए उनके कुछ थोड़े से भाषणों से स्पष्ट हो जाता है ।
' मेरी संसदीय यात्रा ' के इन चार खंडों में चालीस से भी अधिक वर्षों में श्री वाजपेयी द्वारा संसद में दिए गए भाषण कालक्रम और विषयवार संकलित हैं ।
इन संकलनों में लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री के रूप में किया गया राष्ट्रीय उद्बोधन, संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा में दिए गए महत्त्वपूर्ण भाषण, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के न्यूयॉर्क सम्मेलन में दिया गया भाषण, श्री वाजपेयी को ' सर्वश्रेष्ठ सांसद सम्मान ' समर्पण समारोह अवसर के सभी भाषण और श्री वाजपेयी का आधार भाषण भी संकलित हैं ।
