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माधवी- पà¥à¤°à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤ लेखक à¤à¥€à¤·à¥à¤® साहनी का यह तीसरा नाटक ‘माधवी’ महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ की à¤à¤• कथा पर आधारित है। ऋषि विशà¥à¤µà¤¾à¤®à¤¿à¤¤à¥à¤° का शिषà¥à¤¯ गालव अपनी शिकà¥à¤·à¤¾ समापà¥à¤¤à¤¿ के समय गà¥à¤°à¥-दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ देने की हठकरता है और विशà¥à¤µà¤¾à¤®à¤¿à¤¤à¥à¤° उसके हठी सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ से कà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤§ होकर आठसौ अशà¥à¤µà¤®à¥‡à¤§à¥€ घोड़े माà¤à¤— लेते हैं। अशà¥à¤µà¤®à¥‡à¤§à¥€ घोड़ों की खोज में à¤à¤Ÿà¤•ता हà¥à¤† गालव अंत में दानवीर राजा ययाति के आशà¥à¤°à¤® में पहà¥à¤à¤šà¤¤à¤¾ है। राज-पाट से निवृतà¥à¤¤ राजा ययाति गालव की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾ सà¥à¤¨à¤•र असमंजस में पड़ जाते हैं, किनà¥à¤¤à¥ वे दैवी गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ अपनी à¤à¤•मातà¥à¤° पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ माधवी को, यह कहकर उसे सौंप देते हैं कि जहाठकहीं किसी à¤à¥€ राजा के पास आठसौ अशà¥à¤µà¤®à¥‡à¤§à¥€ घोड़े मिलें, उनके बदले वह माधवी को राजा के पास छोड़ दें। माधवी के बारे में कहा गया है कि उसके गरà¥à¤ से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ बालक चकà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€ राजा बनेगा। यहीं से माधवी की कथा आरमà¥à¤ होती है। अनूठे और मरà¥à¤®à¤¸à¥à¤ªà¤°à¥à¤¶à¥€ घटना-चकà¥à¤° में गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤, इस नाटक के पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ पातà¥à¤° - माधवी, गालव, ययाति, विशà¥à¤µà¤¾à¤®à¤¿à¤¤à¥à¤° और अनेक राजागण अपनी-अपनी à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤¤à¥‡ हैं, और à¤à¤• विकट, हृदयगà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥€ मानवीय सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ के परिपà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤·à¥à¤¯ में, ये चरितà¥à¤° नà¤-नठआयाम गà¥à¤°à¤¹à¤£ करते हैं। इनके केनà¥à¤¦à¥à¤° में ययाति-कनà¥à¤¯à¤¾ माधवी है, जो लगà¤à¤— à¤à¤• अलौकिक मिथकीय परिवेश में रहते-बसते हà¥à¤ à¤à¥€ अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• सजीव, सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक और आकरà¥à¤·à¤• बनकर उà¤à¤°à¤¤à¥€ है।
9788171784585
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280
Rajkamal Prakashan
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