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Naye Yug Ka Sanyasi (Hindi)
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हमारे जीवन और काल में विवेकानंद की पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिकताउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ फà¥à¤°à¤¾à¤‚स की पाक-कला की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•ें पसंद थीं, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने खिचड़ी बनाने की नई विधि का आविषà¥à¤•ार किया था, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जहाज़ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ की इंजीनियरिंग और गोला-बारूद बनाने की पà¥à¤°à¥Œà¤¦à¥à¤¯à¥‹à¤—िकी में दिलचसà¥à¤ªà¥€ थी I उनकी मृतà¥à¤¯à¥ के 100 से à¤à¥€ अधिक वरà¥à¤· बाद कà¥à¤¯à¤¾ हम वासà¥à¤¤à¤µ में जान पाठहैं कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विवेकानंद कितने विसà¥à¤®à¤¯à¤•ारी, आकरà¥à¤·à¤• और जटिल वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ थे? अमेरिका को मंतà¥à¤°-मà¥à¤—à¥à¤§ कर देने वाले उनके शिकागो à¤à¤¾à¤·à¤£ से लेकर उनके वृहद लेखन और à¤à¤¾à¤·à¤£à¥‹à¤‚ ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ के विचार को पà¥à¤¨à¤°à¥à¤ªà¤°à¤¿à¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¤ किया और बताया कि विवेकानंद à¤à¤• सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ से कहीं अधिक थे Iविवेकानंद à¤à¤¾à¤°à¤¤ की आधà¥à¤¨à¤¿à¤• परिकलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ के सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ लोगों में से à¤à¤• हैं I वे पूरी तरह से आधà¥à¤¨à¤¿à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¥€ हैं, जो लगातार अपने ही विचारों को चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ देते रहे और विविध तथा विपरीत तरà¥à¤•ों को à¤à¥€ अपनाते रहे I यह उनकी आधà¥à¤¨à¤¿à¤•ता ही है जो हमें आज मोहित करती है I वे न तो इतिहास तक सीमित है, न ही करà¥à¤®à¤•ांड तक, और लगातार अपने आस-पास की हर चीज़ पर तथा ख़à¥à¤¦ के बारे में à¤à¥€ सवाल करते हैं I विवेकानंद के विरोधाà¤à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚, उनकी शंकाओं, उनके à¤à¤¯, और उनकी असफलताओं के कारण ही हम उनकी विराट समà¥à¤®à¥‹à¤¹à¤• दिवà¥à¤¯à¤¤à¤¾ को पहचानते हैं I वे हमें ईशà¥à¤µà¤° को समà¤à¤¨à¤¾ सिखाते हैं, और बताते हैं कि पहले हमें अपने आपको अचà¥à¤›à¥€ तरह से समà¤à¤¨à¤¾ चाहिठI इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में तरà¥à¤• दिया गया है कि à¤à¤¸à¤¾ नहीं है कि केवल ईशà¥à¤µà¤° के नज़दीक थे, बलà¥à¤•ि वे इंसान के रूप में इतने विलकà¥à¤·à¤£ थे कि हम विवेकानंद और उनकी अमर पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾ की ओर बार-बार लौटकर आते हैं Iशैली और वरà¥à¤£à¤¨ में ताज़गीयà¥à¤•à¥à¤¤- फाइनैनà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤² à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸à¥›à¤°à¥‚र पà¥à¤¿à¤¯à¥‡- डॉ. कपिल कपूर, पà¥à¤°à¤®à¥à¤– संपादक, à¤à¤¨à¤¸à¤¾à¤‡à¤•à¥à¤²à¥‹à¤ªà¥‡à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾ ऑफ़ हिनà¥à¤¦à¥‚इज़à¥à¤®
9789388241526
in stock
INR
200
Manjul Publication
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