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Hero ki Kahani: Chaar Bhaiyon Ka Audhyogik Chamatkaar

Hero ki Kahani: Chaar Bhaiyon Ka Audhyogik Chamatkaar

Paperback by Jogendra Singh (Translator) by Sudhir Dixit (Translator) by Sunil Kant Munjal in Hindi language
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Book Details:

Publisher: Manjul Publishing House Pvt. Ltd.
Language: Hindi
Binding: Paperback
Pages: 240
ISBN: 9789390085514

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1940 के दशक में उन्हें कमालिया की सँकरी गलियों और अविभाजित हिंदुस्तान के क्वेटा (अब पाकिस्तान में) के ऊबड़-खाबड़ भू-भाग से अमृतसर, आगरा, और दिल्ली आना पड़ा। ये शहर बँटवारे के दर्द से उजड़ चुके थे। और अंत में वे लुधियाना में बस गए। उस वक़्त शरीर पर पहने कपड़ों के अलावा उनके पास कुछ नहीं था। यहीं से, छह मुन्जाल बंधुओं में से चार ने तिनका-तिनका करके अपना कारोबार खड़ा किया। विश्व-स्तरीय उद्यम विकसित करने का कोई बड़ा सपना नहीं था। उनका मक़सद स़िर्फ अपना अस्तित्व बनाए रखना और परिवार के लिए जीवनयापन के साधन जुटाना था। हीरो ने साइकिल पार्ट्स का कारोबार शुरू किया और फिर साइकिल, मोपेड, ऑटोमोटिव पार्ट्स, मोटरसाइकिल और स्कूटर का उत्पादन किया और आज पुनर्गठित समूह सर्विस बिज़नेस और आधारभूत संरचना के क्षेत्रों से भी व्यापक रूप से जुड़ा है। अपनी स्थापना के तीस साल बाद 1986 में हीरो साइकिल्स दुनिया की सबसे बड़ी साइकिल निर्माता कंपनी बन गई। अगले पंद्रह वर्षों में मोटरसाइकिल उद्यम हीरो होंडा भी दुनिया में सबसे बड़ा बन गया, और इन दोनों ही स्थानों पर हीरो समूह आज भी मज़बूती से बना हुआ है। जटिल लालफ़ीताशाही, धीमे आर्थिक विकास और बाद में वैश्विक प्रतिस्पर्धा जैसे कई अवरोधों को पार करने के बारे में यह ‘मेक इन इंडिया’ की एक प्रामाणिक कहानी है। यह उन चार मुन्जाल भाइयों के जीवन और उनके वक़्त की कहानी भी है, जो एक साथ रहते थे और उन्होंने किसी औपचारिक शिक्षा या संसाधनों के बिना दो पहियों पर एक चमत्कारिक क्रांति का इतिहास लिख दिया। समानांतर रूप से यह किताब इस बात की कहानी भी है कि कैसे भारत जैसी कृषि अर्थव्यवस्था ने परिवहन के सीमित साधनों के साथ, इस दो-पहिया क्रांति पर सवार होकर उड़ान भरी। पारिवारिक मूल्यों और भारतीय लोकाचारों से प्रेरित होने के बावजूद हीरो समूह की कंपनियाँ अपनी सोच और सर्वोत्तम कार्यप्रणाली में आधुनिक और अग्रणी हैं। इसी आधार पर अपने व्यापार दर्शन के अनुरूप हीरो की कंपनियाँ प्र रूप से लाभप्रद व्यापारिक संबंध विकसित करने लिए विख्यात हैं। यह किताब उस ‘पारिवारिक भावना’ को गहराई से प्रस्तुत करती है, जिसने पिछले सात दशकों में लाखों लोगों के लिए सफलता, कल्याण और समृद्धि का सृजन करने के उद्देश्य से कर्मचारियों, ग्राहकों, चैनल पार्टनरों, आपूर्तिकर्ताओं और स्थानीय समुदायों को एकजुट किया है। यह एक दुर्लभ कहानी है, जिससे साबित होता है कि सिद्धांतों से प्रेरित कोई संगठन समाज के लिए असाधारण मूल्य का सृजन कैसे कर सकता है।.
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