
Kunjgali Nahi Sankri
(Paperback Edition)by AnitaGopesh
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‘कुंज़गली’ उपन्यास सूरजभान से शुरू होता है और उसके ममेरे बडे भाई बृज़भान की पत्नी कल्याणी के प्रेम से गुज़रता हुआ सूरजभान के शवदाह पर खत्म । 'मणिकर्णिका’ जीवन की अन्तिम मंजिल है और ‘कुँज़गली’ की भी । कहानी इन्हीं दोनों परिवारों के बीच बहती है, चलती नहीं। उसमें वेळ है, प्रवाह है, धारा है। धारा में उतरिए और बहते चले जाइए । इस धारा से टकराते, जूझते, लड़ते पार लगने की जद्दोज़हद में है कल्याणी जो उपन्यास का केन्द्रीय पात्र है। वह अपने मानसिक, दैहिक संघर्षों में 'त्यागपत्र' के 'मृणाल' की याद दिलाती है । कुल मिलाकर उपन्यास दिलचस्प और पठनीय है । कथानक कसा हुआ और सुगठित है । भाषा में जगह- जगह बनारसीपन की छौंक है, लेकिन सधी हुई । - काशीनाथ सिंह.
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More Information:
Publisher: Lokbharti Prakashan
Language: Hindi
Binding: Paperback
Pages: 105
ISBN: 9789388211437