
Pootonwali
(Paperback Edition)by Shivani
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‘पूतोंवाली’ एक ऐसी स्त्री की विडम्बनाभरी जीवनगाथा है, जो पाँच-पाँच सुयोग्य-मेधावी बेटों की माँ होकर भी अंत तक निपूती रही। शहरी चकाचौंध और सम्पन्नता की ठसक भरे जीवन के मद में अपने सरल लेकिन उत्कट स्वाभिमानी पिता और स्निग्ध, सात्सल्यमयी माँ माँ के दधीचि जैसे उत्सर्ग भरे जीवन की अवहेलना करनेवाले बेटों का ठंडा व्यवहार आज के जीवन में घर-घर की कहानी बन चला है। पूतोंवाली क्षय होते पारम्परिक पारिवारिक मूल्यों के पक्ष में एक मार्मिक गुहार है। ‘कैंजा’ यानी सौतेली माँ। एक ऐसा ओहदा जिसकी मर्यादा प्राणपण से निभाने के बाद भी निष्कलुष-मना नन्दी उसका पारम्परिक कलुष नहीं उतार पाती। बेटा रोहित समाज की कानाफूसी से विह्नल हो विद्रोही बनता जाता है। उसके फेंके पत्थरों से सिर्फ शीशा ही नहीं टूटता, नन्दी का हृदय भी विदीर्ण हो जाता है। एक ऐसी युवती की मार्मिक कथा, जो जन्मदायिनी माँ न होते हुए भी अपने सौतेले बेटे से सच्चा प्रेम करने की भूल कर बैठी है। ‘‘आँधी की ही भाँति वह मुझे अपने साथ उड़ा ले गई थी, और जब लौटी तो उसका घातक विष मेरे सर्वांग में व्याप चुका था।’’ कौन थी यह रहस्यमयी प्रतिवेशिनी जो नियति के लिखे को झुठलाने अकेली उस भुतही कोठी में आन बसी थी? ‘विषकन्या’ में शिवानी की जादुई कलम ने उकेरी है दो यकसाँ जुड़वाँ बहनों की मार्मिक कहानी और उनमें से एक के ईर्ष्या से सुलगते जीवन की केन्द्रीय विडम्बना जो स्पर्शमात्र से किसी के जीवन हलाहल घोल देती है। तीसरा बेटा?
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More Information:
Publisher: Radhakrishna Prakashan
Language: Hindi
Binding: Paperback
Pages: 155
ISBN: 9788183610704