
Pratinidhi Kahaniyan : Rajendra Yadav
(Paperback Edition)by RajendraYadav
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प्रतिनिधि कहानियां – राजेंद्र यादव समकलीन हिंदी कहानी के विकास में राजेंद्र यादव एक अपरिहार्य और महत्त्पूर्ण नाम है! हिंदी कहानी की रूढ़ रूपात्मकता को तोड़ते हुए नई कहानी के क्षेत्र में जितने और जैसे कथा-प्रयोग उन्होंने किये हैं, उतने किसी और ने नहीं! राजेंद्र यादव की कहानियां स्वाधीनता-बाद के विघटित हो रहे मानव-मूल्यों, स्त्री-पुरुष संबंधों, बदलती हुई सामाजिक और नैतिक परिस्थितियों तथा पैदा हो रही एक नयी विचार दृष्टि को रेखांकित करती हैं! उनकी कहानियों की व्यक्ति-चेतना सामाजिक चेतना से निरपेक्ष नहीं है; क्योंकि एक अनुभूत सामाजिक यथार्थ ही उनका यथार्थ है! यथार्थबोध के सम्बन्ध में उनकी अपनी मान्यता है कि ‘जो कुछ हमारे संवेदन के वृत्त में आ गया है, वही हमारा यथार्थ है.. लेकिन इस यथार्थ को कलात्मक और प्रमाणिक रूप से सम्प्रेषणीय बनने के लिए जरूरी है कि हम इसे अपने से हटकर या उठकर देख सकें, उसे माध्यम की तरह इस्तेमाल कर सके!’ इस संकलन में लेखक की कई महत्तपूर्ण कहानियां शामिल हैं, जिनमें नए मानव-मूल्यों और युगीन यथार्थ की मार्मिक अभिव्यक्ति हुई है! अपनी शिल्प-संरचना में ये इतनी सहज और विश्वसनीय हैं पाठक-मन परत-दर-परत उनमें उतरता चला जाता है|
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More Information:
Publisher: Rajkamal Prakashan
Language: Hindi
Binding: Paperback
Pages: 146
ISBN: 9788126703135