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Teen Upanyas

Teen Upanyas

Paperback by QurratulAinHaider in Hindi language

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Book Details:

Publisher: Rajkamal Prakashan
Language: Hindi
Binding: Paperback
Pages: 238
ISBN: 9788126721085

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अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो मामूली नाचने-गानेवाली दो बहनों की कहानी है जो बार-बार मर्दों के छलावों का शिकार होती हैं। फिर भी यह उपन्यास जागीरदार घराने के आर्थिक ही नहीं, भावनात्मक खोखलेपन को भी जिस तरह उभारकर सामने लाता है, उसकी मिसाल उर्दू साहित्य में मिलना कठिन है। एक जागीरदार घरोन के आग़ा फ़रहाद बकौल खुद पच्चीस साल के बाद भी रश्के-क़मर को भूल नहीं पाते और हालात का सितम यह कि उसके लिए बन्दोबस्त करते हैं तो कुछेद ग़ज़लों का ताकि ‘‘अगर तुम वापस आओ और मुशायरों में मदऊ (आमंत्रित) किया जाए तो ये ग़ज़लें तुम्हारे काम आएँगी।’’ आखि़र सब कुछ लुटने के बाद रश्के-क़मर के पास बचता है तो बस यही कि ‘‘कुर्तों की तुरपाई फ़ी कुर्ता दस पैसे.’’ जहाँ उपन्यास का शीर्षक ही हमारे समाज में औरत के हालात पर एक गहरी चोट है, वहीं रश्के-क़मर की छोटी, अपंग बहन जमीलुन्निसा का चरित्र, उसका धीरज, उसका व्यक्तियों को पहचानने का गुण और हालात का सामना करने का हौसला मन को सराबोर भी कर जाता है। खोखलापन और दिखावा-जागीरदार तके की इस त्रासदी को सामने लाने का काम दिलरुबा उपन्यास भी करता है। मगर विरोधाभास यह है कि समाज बदल रहा है और यह तबका भी इस बदलाव से अछूता नहीं रह सकता। यहाँ लेखिका ने प्रतीक इस्तेमाल किया है फिल्म उद्योग का, जिसके बारे में इस तबक़े की नौजवान पीढ़ी भी उस विरोध-भावना से मुक्त है जो उनके बुजुर्गों में पाई जाती थी। मगर उपन्यास का कथानक कितनी पेचीदगी लिए हुए है इसे स्पष्ट करता है गुलनार बानो का चरित्र-इसी तबके की सताई हुई खातून जो अपना बदला लेने के लिए इस तबके की एक लड़की को दिलरुबा बनाती है (इस तरह नज़रिए की इस तब्दीली का माध्यम भी बनती है) और खुदा का शुक्रिया अदा करती है कि उसने ‘‘एक तवील मुद्दत के बाद मेरे कलेजे में ठंडक डाली।’’ तीसरा उपन्यास एक लड़की की ज़िंदगी है जिसे लेखिका की बेहतरीन तख़लीकात में गिना जाता है। यहाँ उन्होंने एक रिफ़्यूजी सिंधी लड़की के जरिए पूरे रिफ़्यूजी तबके के दुख-दर्द को उभारा है। उस लड़के की किरदार को लेखिका ने इस तरह पेश किया है कि वह अकेली शख़्सियत न रहकर रिफ़्यूजी औरत का नुमाइंदा किरदार बन जाती है। इस तरह क़ुर्रतुल ऐन हैदर के ये तीनो उपन्यास उनके फ़न के बेहतरीन नमूनों में गिने जा सकते हैं, साथ ही ये पढ़नेवाले के सामने आज के उर्दू फ़िक्शन के तेवर को बड़े ही कारगर ढंग से पेश करते हैं।
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