Vasu Ka Kutum
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Publisher: Rajkamal Prakashan
Language: Hindi
Binding: Hardcover
Pages: 119
ISBN: 9788126728145
Related Categories: All Books Available Books Best Sellers Bestseller Books in Hindi Collectibles Hindi Books Latest Books in Hindi Literature & Fiction New and Trending Books New Releases Rajkamal Prakashan Books Short Stories
वसु का कुटुम
‘वसु का कुटुम’ लेखिका की अब तक लिखी गई कहानियों से एकदम अलग हटकर है। अलग इसलिए कि अभी तक उनकी लगभग सारी कहानियाँ मुख्य रूप से स्त्री-पुरुष संबंधो के कथ्य के इर्द-गिर्द घुमती रही हैं लेकिन पहली बार हमारा साक्षात्कार एक बड़े सामाजिक परिवेश और उससे जुड़ी रोजमर्रा की छोटी-बड़ी समस्याओं से होता है। उदहारण के लिए पर्यावरण, अतिक्रमण, एन. जी. ओ., कालाधन और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे जिनसे हममें से हरेक को प्रतिदिन दो-चार होना पड़ता है। यदि लेखिका ने कथ्य के स्तर पर एक नई पगडंडी पर कदम रखा है तो उसी के अनुरूप कहानी के शिल्प और संरचना को भी बिलकुल नए तेवर, नए मुहावरे और नए अंदाज में प्रस्तुत किया है।
सबसे पहले तो उन्होंने कहानी कहने के लिए कथावाचक की भूमिका में एक तटस्थ मुद्रा को अपनाया है, दूसरे समसामयिक घटनाओं को इतने गहरे में जाकर चित्रित किया है कि वे घटनाएँ जानी-पहचानी होकर भी ‘फैंटेसी’ सी लगने लगती हैं अर्थात यथार्थ को अति-यथार्थ की हद तक जाकर उद्घाटित करना कहानी को ‘सुरियालिज्म’ की सीमा तक पहुँचा देता है। यह तथ्य और सत्य अलग से रेखांकित किया जाना चाहिए कि लेखिका ने भाषा के स्तर पर भी एक बहुत ही सहज, सरल और अनायास ही संप्रेषित हो जानेवाला रास्ता चुना है अपने लिए-एक बातचीत की, एक संवाद की या एक वार्तालाप की ऐसी शैली, जिसमे हम कब स्वयं शिरकत करने लगते हैं पता ही नहीं चलता। किसी हद तक तमाम स्थितियों-परिस्थियों के चित्रण में व्यंग्य की पैनी धार कहीं हमें हँसा-हँसाकर लोट-पोट कर देती है तो कहीं गहरे में मर्म को आहत भी करती है। यह कहानी न तो मात्र हास्य-व्यंग्य है, और न ही मात्र त्रासदी-शायद इसे अंग्रेजी में प्रचलित ‘डार्क ह्यूमर’ कहा जा सकता है।
